रूपांतरात्मक नेतृत्व (Transformational Leadership)
रूपांतरात्मक नेतृत्व की व्याख्या एक वाक्य में पर्याप्त रूप से नहीं हो सकती या कहें तो पढ़ने वाले को संतुष्ट नहीं कर सकती . इसलिए मैनें इसे एक सच्ची कहानी के रूप में समझाने का प्रयास किया है .
एक अर्द्ध-शहरी शाखा में राम (काल्पनिक नाम) शाखा प्रबंधक हैं तथा श्याम (काल्पनिक नाम) उसी शाखा में काउंटर क्लर्क हैं . राम की 30 वर्ष की आयु में अपने पहले लाइन एसाइनमेंट पर शाखा में नियुक्ति हुई . राम ने शाखा की समस्याओं को तुरंत निपटाने के बजाय 2 माह तक वहां की समस्याओं का आकलन किया एवं उन्हें समझा . दर्जनों समस्याओं में से , प्रति व्यक्ति कम व्यवसाय एवं प्रति व्यक्ति न्यूनतम आय वहां की प्रमुख समस्या थी . राम ने देखा कि सभी स्टाफ की तुलना में श्याम की उम्र सबसे अधिक थी लेकिन वह सबसे कम काम करने वाला स्टाफ था . वह नकारात्मक दृष्टिकोण वाला , गैर-अनुशासित एवं ग्राहकों से लड़ने वाला स्टाफ था . अपने आकलन के दौरान राम ने पाया कि श्याम का काम के प्रति नजरिया कई बाहरी कारणों से प्रभावित था . यह बाहरी कारण थे मसलन , एकाउंटेंट एवं कैश ऑफिसर का उसके प्रति असहयोगात्मक रवैया एवं साथियों द्वारा मजाक उड़ाया जाना . एकाउंटेंट साहब पब्लिक के सामने उसका अपमान कर देते तो कैश ऑफिसर महोदय बात-बात में उसकी खिल्ली उड़ाते . राम ने पाया कि श्याम चाहता है कि स्टाफ सदस्य (अधिकारी एवं कर्मचारी) उसकी वरिष्ठता का सम्मान करें . लेकिन श्याम के पास अपना आत्म-विश्वास वापस पाने का कोई तरीका नहीं था .तब राम ने अन्य स्टाफ सदस्यों से श्याम का सम्मान करने हेतु कुछ प्रयोग किए . जैसे:-
1. ग्राहक संबंध कार्यक्रम में अन्य स्टाफ सदस्यों को पुरस्कार देने हेतु श्याम को आमंत्रित करना . 2. ग्रामीण बैठकों में उनसे भाषण दिलवाना . 3. श्याम का मजाक उड़ाने वाले स्टाफ सदस्यों को ऐसा करने से रोकना .
4. स्टाफ सदस्यों को उनका सम्मान करने को कहना .
धीरे-धीरे आत्म-विश्वास की स्व-अनुभूति होने की प्रक्रिया आरंभ हुई . अचानक , श्याम को महसूस हुआ कि वह स्टाफ सदस्यों एवं ग्राहकों के बीच जिम्मेदार एवं सम्माननीय हो गया है . उसके कार्य की गति में तेजी आई एवं कार्य निष्पादन भी बढ़ा .
इसी क्रम में राम ने एकाउंटेंट , कैश ऑफिसर एवं फील्ड आफिसर के साथ बैठक की एवं निर्णय लिया कि श्याम को शाखा के काम में सबसे तेज स्टाफ के पास बैठाया जाए . इससे श्याम झल्लाया क्योंकि उस स्टाफ की तुलना में उसका निष्पादन बहुत कम था , इससे वह हतोत्साहित भी हुआ क्योंकि वह कोर बैंकिंग में दक्ष नहीं था . लेकिन राम द्वारा समझाने एवं कार्य में मदद करने के आश्वासन के बाद उसने उस सीट पर काम आरंभ किया . सबकी मदद व सकारात्मक दृष्टिकोण से श्याम धीरे-धीरे अपने कामों में दक्ष हो गया और उसके कार्य निष्पादन में अभूतपूर्व बदलाव आया . फिर राम ने उसकी सहमति से उसे मार्केटिंग के काम में लगाया और उसने शाखा में कई चालू और बचत खाते खुलवाए . और इस तरह शाखा के अनर्जक स्टाफ को महत्वपूर्ण स्टाफ में परिवर्तित किया . यह सब एक टीम भावना के तहत किया गया प्रयास था जो कि अंतत: सफल रहा . उस वर्ष शाखा ने 4 में से 3 मानदंडों यथा : जमा , अग्रिम एवं शुद्ध लाभ पर पूरा बजट प्राप्त किया .
इस तरह अगर हम चाहें तो हम किसी भी चीज का रूपांतरण कर सकते हैं , चाहे वह व्यवसाय हो , मानव व्यवहार या दृष्टिकोण एवं वह लीडर जो रूपांतरण में विश्वास करते हैं , वह अपने लक्ष्य को प्राप्त कर ही लेते हैं , एवं इसे ही ''रूपांतरात्मक नेतृत्व" कहते हैं .
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