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Friday, January 15, 2010

Transformational Leadership


रूपांतरात्‍मक नेतृत्‍व (Transformational Leadership)

रूपांतरात्‍मक नेतृत्‍व की व्‍याख्‍या एक वाक्‍य में पर्याप्‍त रूप से नहीं हो सकती या कहें तो पढ़ने वाले को संतुष्‍ट नहीं कर सकती . इसलिए मैनें इसे एक सच्‍ची कहानी के रूप में समझाने का प्रयास किया है .
एक अर्द्ध-शहरी शाखा में राम (काल्‍पनिक नाम) शाखा प्रबंधक हैं तथा श्‍याम (काल्‍पनिक नाम) उसी शाखा में काउंटर क्‍लर्क हैं . राम की 30 वर्ष की आयु में अपने पहले लाइन एसाइनमेंट पर शाखा में नियुक्ति हुई . राम ने शाखा की समस्‍याओं को तुरंत निपटाने के बजाय 2 माह तक वहां की समस्‍याओं का आकलन किया एवं उन्‍हें समझा . दर्जनों समस्‍याओं में से , प्रति व्‍यक्ति कम व्‍यवसाय एवं प्रति व्‍यक्ति न्‍यूनतम आय वहां की प्रमुख समस्‍या थी . राम ने देखा कि सभी स्‍टाफ की तुलना में श्‍याम की उम्र सबसे अधिक थी लेकिन वह सबसे कम काम करने वाला स्‍टाफ था . वह नकारात्‍मक दृष्टिकोण वाला , गैर-अनुशासित एवं ग्राहकों से लड़ने वाला स्‍टाफ था . अपने आकलन के दौरान राम ने पाया कि श्‍याम का काम के प्रति नजरिया कई बाहरी कारणों से प्रभावित था . यह बाहरी कारण थे मसलन , एकाउंटेंट एवं कैश ऑफिसर का उसके प्रति असहयोगात्‍मक रवैया एवं साथियों द्वारा मजाक उड़ाया जाना . एकाउंटेंट साहब पब्लिक के सामने उसका अपमान कर देते तो कैश ऑफिसर महोदय बात-बात में उसकी खिल्‍ली उड़ाते . राम ने पाया कि श्‍याम चाहता है कि स्‍टाफ सदस्‍य (अधिकारी एवं कर्मचारी) उसकी वरिष्‍ठता का सम्‍मान करें . लेकिन श्‍याम के पास अपना आत्‍म-विश्‍वास वापस पाने का कोई तरीका नहीं था .तब राम ने अन्‍य स्‍टाफ सदस्‍यों से श्‍याम का सम्‍मान करने हेतु कुछ प्रयोग किए . जैसे:-
1. ग्राहक संबंध कार्यक्रम में अन्‍य स्‍टाफ सदस्‍यों को पुरस्‍कार देने हेतु श्‍याम को आमंत्रित करना . 2. ग्रामीण बैठकों में उनसे भाषण दिलवाना . 3. श्‍याम का मजाक उड़ाने वाले स्‍टाफ सदस्‍यों को ऐसा करने से रोकना .
4. स्‍टाफ सदस्‍यों को उनका सम्‍मान करने को कहना .

धीरे-धीरे आत्‍म-विश्‍वास की स्‍व-अनुभूति होने की प्रक्रिया आरंभ हुई . अचानक , श्‍याम को महसूस हुआ कि वह स्‍टाफ सदस्‍यों एवं ग्राहकों के बीच जिम्‍मेदार एवं सम्‍माननीय हो गया है . उसके कार्य की गति में तेजी आई एवं कार्य निष्‍पादन भी बढ़ा .

इसी क्रम में राम ने एकाउंटेंट , कैश ऑफिसर एवं फील्‍ड आफिसर के साथ बैठक की एवं निर्णय लिया कि श्‍याम को शाखा के काम में सबसे तेज स्‍टाफ के पास बैठाया जाए . इससे श्‍याम झल्‍लाया क्‍योंकि उस स्‍टाफ की तुलना में उसका निष्‍पादन बहुत कम था , इससे वह हतोत्‍साहित भी हुआ क्‍योंकि वह कोर बैंकिंग में दक्ष नहीं था . लेकिन राम द्वारा समझाने एवं कार्य में मदद करने के आश्‍वासन के बाद उसने उस सीट पर काम आरंभ किया . सबकी मदद व सकारात्‍मक दृष्टिकोण से श्‍याम धीरे-धीरे अपने कामों में दक्ष हो गया और उसके कार्य निष्‍पादन में अभूतपूर्व बदलाव आया . फिर राम ने उसकी सहमति से उसे मार्केटिंग के काम में लगाया और उसने शाखा में कई चालू और बचत खाते खुलवाए . और इस तरह शाखा के अनर्जक स्‍टाफ को महत्‍वपूर्ण स्‍टाफ में परिवर्तित किया . यह सब एक टीम भावना के तहत किया गया प्रयास था जो कि अंतत: सफल रहा . उस वर्ष शाखा ने 4 में से 3 मानदंडों यथा : जमा , अग्रिम एवं शुद्ध लाभ पर पूरा बजट प्राप्‍त किया .

इस तरह अगर हम चाहें तो हम किसी भी चीज का रूपांतरण कर सकते हैं , चाहे वह व्‍यवसाय हो , मानव व्‍यवहार या दृष्टिकोण एवं वह लीडर जो रूपांतरण में विश्‍वास करते हैं , वह अपने लक्ष्‍य को प्राप्‍त कर ही लेते हैं , एवं इसे ही ''रूपांतरात्‍मक नेतृत्‍व" कहते हैं .

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